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नई पुस्तकें >> जिन्दगी और जिन्दगी जिन्दगी और जिन्दगीसुनीति कवात्रा
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प्रस्तुत काव्य–संग्रह ‘ज़िन्दगी और ज़िन्दगी’ की अपनी कविताओं में ज़िन्दगी के विभिन्न रूपों को प्रगट किया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
प्रस्तुत काव्य–संग्रह ‘ज़िन्दगी और ज़िन्दगी’ की अपनी कविताओं में ज़िन्दगी के विभिन्न रूपों को प्रगट किया है। एक ज़िन्दगी समक्ष है और एक समक्ष आनी बाकी है। ज़िन्दगी हम सबकी कहानी है। जो हमने भोगा है या भोग रहे हैं वह इस कहानी का पूरा सच नहीं। ज़िन्दगी आगे बढ़ रही है। इसके कई सच अभी अनुभव करने बाकी हैं, जिन पर अभी रहस्य के पर्दे पड़े हुए हैं। रहस्य का कोई भी पर्दा कभी भी उठकर हमें आनन्दित भी कर सकता है और झिंझोड़ भी सकता है।







